29 March 2019

गीता जैन जी काठ की हांडी कब चढ़ेगी?

मीरा-भाइंदर शहर में आज के राजनैतिक परिपेक्ष में गीता जैन जी का कितना राजनैतिक महत्त्व बचा हुआ है यह अपने आप में भी एक सवाल ही बनकर उभर रहा है क्योंकि जब से गीता जैन जी ने यह जाहिर किया है की वो 145- मीरा-भाइंदर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगी और भाजपा के की चुनाव चिन्ह पर हि लड़ेंगी तो कई राजनैतिक विश्लेषकों ने इसे मात्र एक शगूफ़ा ही समझा है। क्योंकि विद्यमान विधायक नरेंद्र मेहता जी के राजनैतिक कद और जनाधार के आगे वो कहीं भी ठहरती दिखाई नहीं देतीं हैं इसलिए किसी भी परिस्थिति में यह संभव लगता नहीं है। दूसरी बात यह है की अगर गीता जैन जी की प्रखर व्यक्तिगत राजनैतिक महत्वाकांक्षा हो और वो भाजपा से बग़ावत करके निर्दलीय चुनाव लड़ने की सोचें! तो भी मीरा-भाइंदर शहर में उनका इतना जनाधार भी दिखाई नहीं देता की जिसके बलबूते पर वो ऐसा दावा कर सकती है। फ़िर गीता जैन जी अपने आप को किस आधार पर 145- विधानसभा की दावेदार मानती हैं? यह तो वो ही जाने! लेकिन आज के राजनैतिक परिपेक्ष को देखते हुए तो ऐसा दिखाई देता है की गीता जैन जी का पार्टी विरोधी गतिविधियों का कोई असर ना ही नरेंद्र मेहता पर हुआ है, ना पार्टी आला कमान ने उन्हें गंभीरता से लिया और ना ही शहर की जनता पर भी उनके इस राजनैतिक पहल का कोई ख़ास प्रभाव हुआ है। अब गीता जैन जी को यह सलाह पता नहीं किस सलाहकार ने दी है की सोशल मिडिया पर हर त्यौहार की पोस्ट डालते रहने से या कुछ किराए के बाउंसर रख लेने से या फिर शहर में हो रहे हर कार्यक्रमों में अपनी उपस्थिति भर दर्ज करा लेने से एक विधानसभा क्षेत्र का चुनाव जीता जा सकता है। अरे भाई ऐसे तो विधानसभा तो छोड़िये? एक प्रभाग के नगरसेवक पद का चुनाव भी जितना संभव नहीं है। और वैसे भी विधायक नरेंद्र मेहता जी ने तो उन्हें खुला चैलेन्ज दिया ही है की अगली बार गीता जैन जी अपने दम पर निर्दलीय नगरसेविका तो बनाकर दिखाएं? 
ऐसे में गीता जैन जी का भाजपा के टिकट पर ही 145- मीरा-भाइंदर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने का दावा करना उनकी राजनैतिक अपरिपक्वता को ही दर्शाता है। इसीलिए उनकी की महत्वाकांक्षा अब सिर्फ़ एक काठ की हांडी नज़र आती है जो कब चढ़ेगी वो तो गीता जैन जी ही जाने!
~ मोईन सय्यद
(संपादक, लोकहित न्यूज़ ) 

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