23 July 2018

गौरक्षा? कितनी सच्ची! कितनी झूठी!

गौरक्षा? कितनी सच्ची! कितनी झूठी!
२३ जुलाई, मुंबई। जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है तब से देश का माहौल ऐसा बन चूका है की सच्चाई कोई समझ नहीं पा रहा है या फिर सबकुछ समझकर अनजान बने रहना चाह रहा है? गौरक्षा के नामपर आये दिन मुसलमानों को चुनचुनकर मौत के घात उतारा जा रहा है। क्या इन हत्याओं के पीछे असल कारण सिर्फ गौरक्षा है? या यह सब कुछ एक राजनैतिक षडयंत्र के तहत किया जा रहा है? 
18 जुलाई का मध्यप्रदेश का एक उदाहरण देखिये! दो हजार गायों की खाल से भरा पच्चीस टन वजनी ट्रक पुलिस ने पकड़ा। जिन तीन लोग १) नरेंद्र प्रजापत २) उमेश प्रजापत ३) रवि कन्हैयालाल को इस ट्रक को ले जाते हुए पकड़ा है वो सभी हिन्दू समाज के लोग है जो गाय को अपनी माता मानते है और आजकल गौरक्षा के नामपर इंसानों की धड़ल्ले से हत्याएं कर रहे हैं। अब जाहिर सी बात है की दो हजार गायों की खाल निकाली गई है तो उन गायों की हत्या ही हुई होगी? तो अब सवाल उठता है की ये हत्याएँ किसने की? ये कौन लोग है इस गौवंश के चमड़े का व्यापार करनेवाले? यह तो सिर्फ एक ट्रक पकड़ा गया है ऐसे कई ट्रक रोजाना सैकड़ों टन गायों के खाल की तस्करी कर बाजार में बेच रहे है और करोडो का टर्न ओवर किया जा रहा है। तो फिर गौरक्षा के नामपर मुसलमानों को कौन और क्यों मार रहा है? क्या इन हत्याओं के पीछे गौरक्षा ही एकमात्र कारण है या कुछ और कारण है? तो जान लीजिये की इसके पीछे छुपा है बहुत बड़ा अर्थकारण! करोड़ों का चमड़े का व्यापार! असल में जो लोग गोमांस और गोवंश के खाल के व्यापार से जुड़े है वो लोग नहीं चाहते की कोई मुसलमान खुले बाजार में गोवंश का व्यापार करे। ताकि खुले बाजार में बिकनेवाले सभी जानवरों को वो इकठ्ठा खरीद सके और उन्हें कत्तलखानों में क़त्ल कर उनके मांस और चमड़े का व्यापार कर सकें। 
देश की आबादी के पच्चीस प्रतिशत में ज्यादातर मुसलमान मेहनतकश होते हैं। वो या तो किसानी-मजदूरी  करते हैं या फिर छोटेमोटे व्यापार-धंधे कर अपना गुजारा करते हैं उनमे से कुछ लोग जानवरों का व्यापार भी करते हैं जो गाँव गाँव जाकर खुले बाजार से जानवर खरीदते है और इन्हे थोक मंडी में बेचकर मुनाफा कमाते हैं। जब से भाजपा की सरकार सत्ता में आई है देशभर में अचानक गौमाता के रक्षकों की बाढ़ सी आ गई है। और इन तथाकथित गौरक्षकों द्वारा जानवरों का छोटा-मोटा व्यापार करनेवाले मुसलमानों को पिट-पीटकर मार दिया जा रहा है ताकि ये मुसलमान डर के मारे खुले बाजार से जानवरों की खरीद फरोख्त बंद कर दे और वो सभी गौवंश सीधे बड़े बड़े कत्लखानो में भेजकर उन्हें क़त्ल कर उनके मांस और चमड़े को बेचकर मोटा मुनाफा कमाया जा सके। तो यह है इस गौरक्षा के पीछे का असली अर्थकारण! 
पिछले कुछ सालों से देशभर में सैकड़ों गौशालाएं खोली जा रही हैं। लेकिन क्या इन गौशालाओं में गायों की रक्षा हो रही है? क्या उनकी सही देखभाल हो रही है? कुछ एक गौशालाओं को छोड़ दें तो लगभग सभी गौशालाओं  में जानवरों को नारकीय अवस्था में रखा जा रहा है जिसके फोटो और वीडियो आये दिन सोशल मिडिया पर देखने को मिलते हैं। आप सिर्फ गूगल पर सर्च कीजिये गौशालों का क्या हाल है आपको पता चल जाएगा। वहां गायों की ऐसी हालत है की उन्हें ठीक से चारा-पानी नहीं दिया जाता, बीमार पड़ने पर वो तड़प-तड़प कर मर जाती हैं लेकिन उनका इलाज नहीं किया जाता, वहां गायों को गन्दी और बदबूदार जगहों पर बद से बदतर हालत में रखा जा रहा है। तो इस तरह अगर सही में गायों की रक्षा हो रही है तो अब हमारा देश लाखों टन बीफ़ निर्यात कैसे कर रहा है? कहाँ से आता है ये गौमांस? गायों के चमड़े का व्यापार कैसे बढ़ रहा है? है कोई इन सवालों का जवाब देनेवाला?
हमारा उन जीवदया के लिए कार्य करनेवाले बुद्धिजीवियों से निवेदन हैं की इस बारें सरकार से सवाल करें की यह किस तरह की गौरक्षा की जा रही? गायों को बचाने के नामपर कबतक इंसानों को मारा जाएगा? क्या आप लोगों की नज़रों में इंसानों की जान की क़ीमत कुछ भी नहीं? 
यहाँ निचे कुछ सन्दर्भ दिए हैं -
(https://indianexpress.com/article/world/india-third-biggest-beef-exporter-fao-report-4772389/)
(https://hindi.news18.com/blogs/abhay/beef-politics-reality-india-slaughterhouse-419142.html)
(https://navbharattimes.indiatimes.com/business/business-news/india-on-top-in-exporting-beef/articleshow/48424838.cms)







(यह तस्वीरें देश की विभिन्न गौशालाओं से ली गई है )