02 September 2018

नरेंद्र मेहता जी आप लोक प्रतिनिधि हैं ! आप अपनी नैतिकता की बात कीजिए !

मीरा-भायंदर शहर के १४५ विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक नरेंद्र मेहता जी ने भाइंदर स्थित मैक्सस मॉल में हुये मीरा-भाइंदर महानगर पालिका में भाजपा के सत्ता की वर्षपूर्ती कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में उन्होंने विशेषतः पत्रकारों की ओर कटाक्ष करते हुए कहा कि आप मेरे बारे में कुछ भी लिखते हो! आप लोग मुझे चोर, भ्रष्टाचारी कहते हो! तो सोचो मेरे परिवार को कैसा लगता होगा? वो मेरे बारे में क्या सोचते होंगे? तो एक पत्रकार होने क नाते नरेंद्र मेहता जी से मेरे कुछ सवाल हैं !  मेहता जी ! जब आप जनता ने दिए वोट से चुनाव जीतकर आते हो तो आप लोकप्रतिनिधि कहलाते हो और फिर आपके लिए जनता के प्रति कुछ जिम्मेदारियां भी होती हैं। लेकिन आप के बर्ताव से तो ज़रा भी ऐसा प्रतीत नहीं होता की आप एक आदर्श लोकप्रतिनिधि की जिम्मेदारी निभा रहे हो। आप खुद ही सोचिये की क्या आप इस शहर के नागरिकों के प्रति आपकी ज़िम्मेदारी को ईमानदारी से निभा रहे हो? ऐसे कई मुद्दे हैं जो  आज सिर्फ और सिर्फ आपकी वजह से जनता को काफ़ी तकलीफें उठानी पड़ रही हैं ये रहे कुछ उदाहरण-
१)  शहर में एकमात्र सरकारी तेम्बा हॉस्पिटल है जिसमे २०० बेड की सुविधा है। और आपातकाल सुविधा भी है और गरीबों के लिए यह एक वरदान साबित होगा लेकिन आपकी राजनीति की वजह से आजतक वो अस्पताल पूरी तरह से चलाया नहीं जा रहा है। आपने खुद शहर की जनता से वादा किया था की  मै इस अस्पताल को जल्द से जल्द चालु करवाऊंगा लेकिन आज भी यह अस्पताल चालु नहीं हो पाया है। तो क्या ये आपकी ज़िम्मेदारी नहीं है की आप इस अस्पताल को जनता के लिए सुचारु रूप से चालु करवाएं?

२) आपने खुद कई जगहों पर सीआरझेड़ के नियमों का उल्लंघन कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाकर निर्माण कार्य किये हैं और इसके लिए आपके ऊपर पर्यावरण अधिनियमों उल्लंघन करने लिए कई मामले अलग-अलग पुलिस थानों में दर्ज हुए हैं। अगर जिस व्यक्ति पर नियमों के पालन की और पर्यावरण को बचाने की ज़िम्मेदारी हो वही अगर नियमों का उल्लंघन करे तो क्या आपने कभी सोचा है की अगर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया गया तो शहर के विकास पर इसका क्या परिणाम होगा? कभी सोचा है?

३) आप जबसे इस शहर की राजनीति में आये हैं और नगरसेवक, महापौर और आमदार जैसी महत्वपूर्ण पदों पर रहें है लेकिन इसके बावजूद आपने और आपके नामपर चलने वाली कंपनियों ने शहर में अनेकों जगहों पर अवैध निर्माण किये है और आज भी करते ही जा रहे हैं ऐसे आरोप आपके ऊपर लगातार लगते आये हैं तो जिन लोकप्रतिनिधि पर अवैध निर्माण को रोकने की जिम्मेदारी होती है अगर वही अवैध निर्माण करेंगे तो इस शहर के विकास पर इसके कितने गंभीर परिणाम होंगे? आपने कभी इस विषय में सोचा है? क्या आपने अवैध निर्माण रोकने के लिए कभी प्रयत्न किये है?

४) मीरा भाइंदर शहर की महानगर पालिका में फैला भ्रष्टाचार एक नासूर की तरह शहर को ख़ोखला कर रहा है। मनपा के हर विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है। एक ही रास्ता साल में कई बार खोदा जाता है और फिर बनाया जाता है। एक ही नाला सालभर में कईबार तोड़कर फिर बनाया जाता है। कमीशनखोरी के चक्कर में टेंडर निकाले जाते हैं और जनता से टैक्स के रूप वसूला गया उनकी खून-पसीने की मेहनत का पैसा रास्तों पर, नालियों पानी की तरह बहाया जाता है इसके बावजूद आज भी शहर का एक भी रास्ता लोगों के चलने लायक नहीं हैं क्या आपने कभी इस भ्रष्टाचार को रोकने की कोशिश की है? उलटे आरोप तो ये लगते आएं हैं जो कंपनियां टेंडर लेती हैं उनमे से आधे से ज्यादा कंपनियां आपकी ही है तो क्या आप कभी शहर के रास्ते सुधारने के लिए कुछ करेंगे ? क्या आपने इस भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कुछ किया है?

५) आज शहर में फेरीवाला एक गंभीर समस्या बनी हुई है लोगों को चलने के लिए रास्ता नहीं क्यूंकि पुरे रास्ते पर अवैध फेरीवालों का कब्ज़ा है। आपको शायद याद होगा की आपकी सत्ता रहते हुए फेरीवालों के ख़िलाफ़ आंदोलन करते हुए आप खुद रस्ते में बैठ गए थे। मीरा भाइंदर एक इकलौता शहर हैं जहाँ मनपा का एक भी मार्केट उपलब्ध नहीं है। उलटे  फेरीवालों को रास्ते पर बैठाया जाता है ताकि उनसे वसूली कर सकें। इस शहर में फेरीवालों से वसूली के टेंडर निकाले जाते हैं और इसमें भी आरोप लगते आये हैं की इस फेरीवाला वसूली टेंडर में आपकी भी कंपनियां हैं। आप ने आपकी सत्ता रहते फेरीवालों को रोकने के लिए कोई रणनीति बनाई है? 

६) शहर के सरकारी स्कूलों की हालत भी बहुत खस्ता है। यहाँ तीन-चार क्लास को पढ़ाने के लिए सिर्फ एक टीचर है, स्कूलों में टीचर की संख्या बहुत कम है, स्कूलों में बच्चों को अच्छी सुविधाएं भी नहीं है, लेकिन एक लोकप्रतिनिधि के नाते आप इस विषय पर गंभीर नहीं हैं क्यूंकि यहाँ बिल्डरों और उद्योगपतियों की प्रायव्हेट स्कूलें चलती हैं उनमे से ज्यादातर लोग आप से जुड़े हुए हैं। उनमे से कुछ महँगी स्कूलें आपकी भी है। तो शहर की शिक्षा व्यवस्था में सुधार कैसे आएगा?
नरेंद्र मेहता जी ऐसे और कई सार्वजनिक मुद्दे हैं जो एक लोकप्रतिनिधि होने के नाते आपकी जिम्मेदारी हैं लेकिन आप कहीं भी उनपर खरे नहीं उतर रहे हैं।
यह तो हुई सार्वजनिक मुद्दों की बात लेकिन आपकी अपनी व्यक्तगत छवि भी काफ़ी विवादास्पद रही है। जैसे अवैध बांधकाम को बचाने के लिए रिश्वत लेने का मामला हो, आरटीआई कार्यकर्ता के घर पर अपने सैंकड़ों समर्थकों के साथ मिलकर हमला करने का मामला हो, पत्रकारों के साथ मारपीट कर उनको डराने-धमकाने का मामला हो, या अभी-अभी हाल ही में शहीद मेजर कौस्तुभ राणे के शहादत के दिन नगरसेवक का जन्मदिन मनाने का मामला हो और ऐसे कई मामले हैं जो एक लोकप्रतिनिधि होने के नाते आपकी छवि को शोभा नहीं देते। अब यह आपको सोचना है और आपकी ज़िम्मेदारी बनती है की आपका आचरण कैसा हो ? यह तो आपको सोचना है की आपके परिवार वाले या इस शहर की जनता आपको किस तरह से देखते हैं या आपके बारे में क्या सोचते है। 
तो नरेंद्र मेहता जी आप पत्रकारों को तो नसीहत देने से पहले खुद सोचिए की क्या एक आदर्श लोकप्रतिनिधि की ज़िम्मेदारी आप निभा रहे हो? और ऐसे में आपको कोई नैतिक अधिकार नहीं बनता की आप पत्रकारों को नसीहत दें या उनपर पर उंगलयां उठायें।  
अंत में आपके लिए संत कबीर का यह दोहा लिख रहा हूँ। 

बुरा जो देखन मैं चला, 

बुरा न मिलिया कोय, 

जो मन खोजा आपना, 

मुझसे बुरा न कोय।