11 December 2022

कौन कर रहा है समाज, भाषा, प्रांत के भवनों की आड़ में समाज का बंटवारा?

मीरा-भाईंदर शहर में इन दिनों लगातार अलग-अलग समाज के भाषा के प्रांत के नामपर भवन बनाये जाने की घोषणाएं की जा रही है। इस मुद्दे को लेकर मीरा-भाईंदर शहर की राजनीति काफ़ी गर्मा गई है। हालाँकि इसकी शरुआत कई साल पहले मीरा-भाईंदर शहर में उत्तर भारतीय भवन के निर्माण की मांग को लेकर हुई थी जो बाद में आगरी भवन, मराठा भवन, वारकरी भवन, हिंदी भाषा भवन से लेकर अब मिथिला भवन तक आ पहुंची है तो इसी के साथ-साथ अब मुस्लिम भवन, क्रिश्चियन भवन, केरला भवन जैसे अन्य कई समाज के लोगों ने भी अपने-अपने समाज के लिए भवनों के निर्माण मांग तेज कर दी है।

महाराष्ट्र में फिलहाल एकनाथ शिंदे प्रणीत शिवसेना और देवेंद्र फडणवीस की शिवसेना-भाजपा की सरकार है। मीरा भाईंदर शहर में अब महानगर पालिका अस्तित्व में नहीं होने के कारण मनपा आयुक्त दिलीप ढोले प्रशासक के रूप मनपा का कार्यभार संभाले हुए हैं। सभी को पता है की मनपा आयुक्त दिलीप ढोले पहले के नगरविकास मंत्री और अभी के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के ख़ासमख़ास हैं। यहाँ के शिवसेना के विधायक प्रताप सरनाईक भी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट में शामिल हैं और इसी कारण से मीरा-भाईंदर शहर में अब निरंकुश सत्ता का खेल खेला जा रहा रहा है। अलग-अलग समाज, भाषा या प्रांत के नामपर भवनों के निर्माण की घोषणा करना भी उसी खेल का एक हिस्सा है ताकि आनेवाले चुनावों में इसका राजनैतिक लाभ उठाया जा सके। लेकिन क्या इस तरह की राजनीति करना नैतिकता के आधार पर उचित है? 


किसी भी शहर के विकास में शहर के हर एक करदाता नागरिक का बराबर का योगदान होता है। संवैधानिक रूप से देखा जाए तो देश के हर एक नागरिक को अपनी मर्जी से अपने धर्म, भाषा के अनुसार जीवन यापन करने का अधिकार मिला हुआ है लेकिन इसके बावजूद जब पुरे देश की, या पुरे शहर की या पुरे समाज की बात आती है तो सभी नागरिकों पर यह जिम्मेदारी तय हो जाती है की वो अपने धर्म-जाती और भाषा का बंधन सिर्फ़ अपने व्यक्तिगत स्वरूप तक ही सिमित रखें उसे किसी और पर थौंपा नहीं जा सकता। यह बात देश के हर एक नागरिक पर लागू होती है। इसी वजह से जब किसी राज्य में या किसी शहर के स्थानीय नगर निगम में विकास कार्य किए जाते हैं तब वह किसी समाज, जाती-धर्म या भाषा विशेष को ध्यान में रखकर नहीं बल्कि उस शहर में रहनेवाले हर एक नागरिक की जरूरतों को ध्यान में रखकर किए जाते हैं । वैसे भी स्थानीय नगर निकायों के कानून में ऐसा कोई प्रावधान भी नहीं किया गया है की किसी समाज, भाषा या प्रांत के लोगों के लिए सरकारी ख़र्चे से भवनों का निर्माण किए जाएँ। लेकिन इसके बावजूद भी इन दिनों देखा गया है की स्थानीय विधायक, पार्षद या अन्य राजनेता अपने चुनावी फायदे को ध्यान में रखकर इस तरह समाज, भाषा, धर्म, प्रांत के नामपर भवनों के निर्माण की मांग करते दिखाई दे रहे हैं जो की किसी भी तरह से उचित नहीं है। क़ानूनी मान्यता की बात करें तो इस तरह के भवन कभी बन नहीं पाएंगे।


तो अब सवाल यह उठता है की मीरा-भाईंदर शहर में पिछले दिनों जिन भवनों के भूमिपूजन किये गए हैं क्या वो कभी बन पाएंगे? अगर बनाये गए तो किस कानून के प्रावधान के अंतर्गत बनेंगे? अगर नहीं बन पाए तो जिन नेताओं ने ऐसी मांग की है या अपने मतदाताओं को लुभाने के लिए उन्होंने ऐसे वादे किये हैं उन वादों का क्या होगा? क्या इस तरह समाज के लोगों में विवाद पैदा नहीं होंगे? अगर इस तरह समाज आधार पर भाषा के आधार पर, धर्म-जाती और प्रांत के आधार पर विवाद खड़े हुए तो देश की एकता-अखंडता सलामत रह पायेगी? जिन नेताओं पर देश को एक सूत्र में बांधकर रखने की जिम्मेदारी है उन्ही नेताओं द्वारा इस प्रकार से समाज का बंटवारा करना कहाँ तक उचित है? इन सभी बातों पर गंभीरता से विचार करने की अब आवश्यकता है। 

अब हम सभी लोगों को एक देश का, एक शहर का, एक नगर का जिम्मेदार व सजग नागरिक बनते हुए शहर में अच्छे स्कुल-कॉलेज, अच्छे अस्पताल, अच्छी सड़कें, स्वच्छ पीने का पानी और बाकी सभी मूलभूत सुविधाओं की मांग करनी चाहिए ना की अपने समाज के, भाषा के, जाती के, प्रांत के भवनों की मांग करनी चाहिए। उम्मीद है की हम सब एक जागरूक नागरिक बनकर शहर के सर्व समावेशक विकास में अपना योगदान देंगे!

05 July 2022

शहर की जनता जन्मदिन की शुभकामनाएं देना चाहती है लेकिन विधायक गीता जैन जी लापता हैं?

सर्वप्रथम मीरा भाईंदर की विधायिका गीता जैन जी को शहर की जनता की ओर से जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं ! 

    
सुना है आज मीरा भाईंदर शहर की लोकलाडली विधायिका गीता जैन जी का जन्मदिन है? और शहर की जनता उन्हें बधाइयां देने के लिए बड़ी ही आतुरता से ढूंढ रही है? लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है की गीता जी आख़िर हैं कहाँ? कोई कह रहा है की वो अपक्ष के रूप में चुनाव जितने के बाद सबसे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस के दिखाई दीं। चुनाव से पहले गीता जी शहर की जनता को हर जगह कहती दिखाई देती थी की वो देश में भाजपा के सर्वोच्च नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व को मानती हैं और जैसा की उन्होनें विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान नारा लगाया था की "मोदी तुझसे बैर नहीं, नरेंद्र मेहता तेरी ख़ैर नहीं" तब ऐसा लगा था की वो अपक्ष उम्मीदवार के रूप में चुनाव जितने के बाद भाजपा में अधिकृत रूप से प्रवेश करेंगी और जीवनभर भाजपा के साथ ही रहेंगी? लेकिन बाद में किसी ने कहा की महाराष्ट्र में अनपेक्षित रूप से भाजपा की सरकार ना बनते हुए शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाविकास अघाड़ी की सरकार बनी और गीता जैन ने पालकमंत्री एकनाथ शिंदे की उपस्थिति में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के हाथों शिवबंधन बांधकर शिवसेना में चली गई हैं। तब उन्होंने एक और चौंकाने वाली बात बताई थी की विधायक प्रताप सरनाईक और वो भाई-बहन के जैसे हैं। लेकिन अब कोई कह रहा है की नहीं उद्धव ठाकरे की सरकार गिरने के बाद वो फिर से बिन बुलाये मेहमान की तरह गुवाहाटी जाकर देवेंद्र फडणवीस के साथ भाजपा में जाने की घोषणा की हैं?  

    इस सभी राजनैतिक शोरगुल के बिच यहाँ शहर की भोली भाली जनता जिन्होंने गीता जैन को भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज उम्मीदवार नरेंद्र मेहता को हराकर अपक्ष में रूप में विधायक के रूप में चुना था वो बेचारी गीता जैन को मीरा भाईंदर शहर में एक 'कर्तव्यदक्ष, कार्यसम्राट' विधायक के रूप में ढूंढ रही है। अब शहर की जनता को शायद यह पछतावा जरूर हो रहा होगा की इनसे बेहतर विधायक तो नरेंद्र मेहता थे जो कम से कम शहर में दिखाई तो देते थे? उनके ऊपर भ्रष्टाचार के चाहे जितने भी आरोप लगते रहे हो लेकिन उन्होंने शहर में कई बड़े विकास कार्य तो किये हैं? नरेंद्र मेहता चाहे जितने भी व्यस्त रहे हों लेकिन वो हमेशा शहर की जनता के संपर्क में तो रहते थे? 

    आज गीता जैन जी का जन्मदिन है तो शहर की जनता को याद आया की इस शहर में एक विधायक भी रहती हैं। अब इस बहाने एक सवाल पूछा जा रहा है की क्या वाकई गीता जैन इस शहर की विधायक हैं? अगर हैं तो वो इस शहर में दिखाई क्यों नहीं देती? विधानसभा चुनाव जितने के बाद लगभग ढाई साल बीत चूका है लेकिन उन्होंने एक विधायक के रूप में इस शहर के लिए किया क्या है? चुनाव जितने से पहले उन्होंने जो नौ वचन लिए थे उन वचनों में से कितने वचन उन्होंने निभाए? शहर को टोल मुक्त करने का वादा किया था उस वादे का क्या हुआ? भ्रष्टाचार मुक्त महानगर पालिका के वादे का क्या हुआ? महानगर पालिका को कमीशनखोरों की चंगुल से मुक्त करने के वादे का क्या हुआ? ऐसे और भी कई सवाल है जिनका जवाब फिलहाल मीरा भाईंदर शहर की जनता ढूंढने की कोशिश कर रही है। अब देखना होगा की विधायक गीता जैन के साथ साथ इन सवालों के जवाब जनता को कब मिल पाते  हैं।

    फिलहाल तो हम फिर एकबार गीता जैन जी को उनके जन्मदिन के अवसर पर शुभकानांएँ देते हैं और आशा करते हैं वो जहाँ भी रहे जिस भी पार्टी के साथ रहे खुश रहे आबाद रहे और उन्हें कभी याद आये तो मीरा भाईंदर शहर के जनता की सुध भी लें।

Happy Birthday MLA Geeta Jain Ji !