20 October 2019

चेतावनी : सावधान ! अयोग्य उम्मीदवार को वोट देना आपके शहर की सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है!

हम हमारा अमूल्य वोट किसे दें?
महाराष्ट्र विधानभा चुनाव के मतदान में अब सिर्फ़ कुछ ही घंटे बचे हैं शहर के सभी मतदाताओं में इस बात की गहन चर्चा हो रही है की वो आखिर किसे वोट दें और किसे ना दें। वैसे तो चुनावी मैदान में उतरा हर उम्मीदवार चुनाव जीतने के लिए ही लड़ता है लेकिन आख़िरकार एक ही उम्मीदवार चुनाव जीतता है जो अगले पांच सालों तक हमारे शहर का प्रतिनिधित्व करता है। अब ऐसे में सवाल यह आता है की एक आम मतदाता आखिर वोट दें तो किसे दें? क्यूंकि चुनावी मैदान में उतरा हर उम्मीदवार अपने आप को दूसरे से बेहतर उम्मीदवार बताता है। बड़े बड़े चुनावी वादे किये जाते हैं। वचन दिए जाते हैं। कसमें खाई जाती हैं। लेकिन क्या कभी सोचा है की आज़ादी के सत्तर सालों बाद आज भी हम किन मुद्दों पर चुनाव लड़ रहे हैं? सड़क, पानी, बिजली, महंगाई, रोज़गार बस यही मुद्दे बारे-बार दोहराये जाते हैं लेकिन देश की जनता ने देखा है की यह मुद्दे कभी ख़त्म नहीं हो रहे हैं क्योंकि हमारे देश के नेताओं में ऐसी राजनैतिक इच्छाशक्ति नहीं हैं। अगर राजनेता चाहे तो ऐसे मुद्दे दुबारा कभी सामने आएंगे ही नहीं लेकिन यही वो मुद्दे हैं जो राजनेताओं को वोट भी देते हैं और नोट भी देते हैं।
अब सवाल आता है की आखिर एक आम मतदाता वोट किसे दें? 
१) सबसे पहले देखा जाए की जो उम्मीदवार चुनाव में उतरे हैं उनकी शैक्षणिक पात्रता क्या है? जिसे हम वोट देने जा रहे हैं क्या वो इतना पढ़ा-लिखा है की हमारे शहर के प्रश्नों को सही मंच से अभ्यासपूर्ण तरीक़े से रख सकें और साथ ही जब विधान भवन में किसी विषय पर क़ानून बनाया जाता है तो उस कानून के बारे में उन्हें अच्छी तरह जानकारी हो! ताकि उस विषय पर सदन में अभ्यासपूर्ण चर्चा हो और जनता के हितों के लिए सक्षम कानून बनाया जा सकें। इसी लिए हमारे लोकप्रतिनिधि का उच्च शिक्षित होना बहुत जरुरी है। 

२) हम जिस उम्मीदवार को वोट देने जा रहे हैं वो आर्थिक रूप से भी सक्षम होना चाहिए क्योंकि अक्सर देखा गया है की उम्मीदवार भले ही ग़रीब हो लेकिन अगर जनता सिर्फ़ योग्यता के आधार पर जिन्हे चुनकर भेजा है तो वो आगे जाकर वो भ्रष्टाचार करता है और अपनी काली कमाई करने में जुट जाता है। महाराष्ट्र के विधायक गणपतराव देशमुख जैसे लाखों में कोई एक अपवाद होंगे की जो ग्यारह बार चुनाव जीतने के बाद भी एसटी बस से सफ़र करते थे और जनता के लिए पूरी तरह समर्पित थे। इसीलिए हमारा लोकप्रतिनिधि आर्थिक रूप से भी सक्षम हो ताकि वो अपनी काली कमाई के पीछे ना पड़कर सिर्फ़ और सिर्फ़ जनता के विकास के लिए कार्य करें !

३) यह मुद्दा काफ़ी महत्वपूर्ण है की हम जिस उम्मीदवार को वोट देने जा रहे हैं उसकी अपराधिक छवि बिलकुल भी ना हो ! हमें यह बात अच्छी तरह जांच लेनी चाहिए की हम जिस उम्मीदवार को वोट देने जा रहें हैं उनकी पृष्टभूमि अपराधिक तो नहीं है? यही वजह है की जब कोई उम्मीदवार चुनाव लड़ने के लिए अपना पर्चा दाखिल करता है तो उसे उसके ऊपर दर्ज सभी प्रकार के अपराधिक मामलों का ब्यौरा उस पर्चे के साथ देना होता है ताकि मतदाताओं को पता चल सकें की उस उम्मीदवार पर कितने अपराधिक मामले दर्ज हैं। उसपर कोई हत्या, अपहरण, हफ्ता  वसूली, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार, जबरन जमीन हथियाना ऐसे संगीन मामले तो दर्ज नहीं है? जिस लोकप्रतिनिधि की मानसिकता अपराधिक होती है वो कभी भी अच्छे कार्य नहीं कर सकता! तो हमारी यही कोशिश होनी चाहिए की हम जिसे वोट देने जा रहे हैं उसके ऊपर काम से काम अपराधिक मामले दर्ज हों और उसकी छवि साफ़-सुथरी हो!

४) जो उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं उनका राजनैतिक अनुभव भी देखा जाना चाहिए ! क्योंकि जनता को ये जानकारी होनी चाहिए की उन्होंने उनके पिछले राजनैतिक कार्यकाल में इस शहर के विकास के लिए क्या योगदान दिया है? उनका इस शरह के प्रति कितना लगाव है? क्या वो इस शहर के विकास के लिए कोई बड़ा विजन लेकर आये हैं? उनकी इस शहर के लिए भविष्य की योजनाएं क्या हैं? इस शहर के विकास के प्रति वो कितने समर्पित हैं? क्या वो ईमानदारी से शहर का विकास करना चाहते हैं या फ़िर भ्रष्टाचार कर सिर्फ अपना विकास करना चाहते हैं? मतदाताओं को अपने उम्मीदवार की राजनैतिक इच्छाशक्ति को अच्छी तरह परख़ कर ही वोट देना चाहिए और जो उम्मीदवार शहर के विकास के प्रति ईमानदारी से कार्य करने के लिए समर्पित हो ऐसे ही उम्मीदवार को वोट दें !

५) किसी चुनाव में वोट देने से पहले उम्मीदवार की मानसिकता के बारे में जानने के लिए यह मुद्दा भी काफ़ी महत्वपूर्ण है की क्या हमारे उम्मीदवार की सोच सर्व धर्म समभाव वाली धर्म निरपेक्ष है? या फ़िर वो किसी विशेष जाती-धर्म के प्रति अपना झुकाव ज़्यादा रखता है? क्योंकि हमारा देश संविधान से चलता है। संविधान में अनुसार इस देश के हर नागरिक के बराबर के अधिकार हैं। हम देश के किसी भी नागरिक के साथ जाती-धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकते। ऐसे में अगर हमारे लोकप्रतिनिधि जातिवाद और धार्मिक भेदभाव में विश्वास करने वाले होंगे तो वो शहर की जनता के प्रति निष्पक्ष रवैय्या नहीं अपना सकेंगे और उनका यह कार्य संविधान के विरुद्ध होगा। ऐसे में कोई भी उम्मीदवार अगर किसी विशिष्ट जाती-धर्म के प्रति झुकाव रखता है तो ऐसे उम्मीदवार वोट नहीं देना चाहिए। 

किसी भी चुनाव में वोट देने से पहले अगर मतदाता इन मुद्दों पर गंभीरता से विचार करते हुए अपने विवेक के साथ वोट करेंगे तभी ये देश सही मायनें में सुजलाम-सुफलाम् होगा। देश में कभी जातिवाद नहीं होगा, हमारे शहर का विकास भी अच्छी तरह होगा। जैसे हम अपनी निजी जिंदगी में जब कोई सामान ख़रीदते हैं तो उस सामान के हर तरह से जांच-परख कर लेते हैं और उसमे से जो सबसे बेहतर होता है उसी को ख़रीदते है। उसी तरह हमें चुनाव में वोट देकर अपना पवित्र निर्वाह करने से पहले यह अच्छी तरह जांच लेना चाहिए की हम जिस उम्मीदवार को वोट दे रहे हैं क्या वो व्यक्ति उस वोट के लायक है या नहीं। कभी अपने जाती-धर्म के आधार पर, या किसी प्रलोभन के कारण या फिर चंद रुपयों के लिए अयोग्य उम्मीदवार को वोट देकर अपना और अपने शहर का भविष्य बर्बाद ना करें। 
सबसे महत्वपूर्ण बात है की वोट देना एक पवित्र कर्तव्य है इसलिए हमें वोट देने जरूर जाना चाहिए !
जय हिन्द ! जय भारत !
~ मोईन सय्यद (संपादक लोकहित न्यूज़)


10 September 2019

आदरणीय नरेन्द्र मेहता जी आपको किस बात पर गर्व है?

मीरा भाईंदर शहर मे पिछले दस सालों से भी ज्यादा समय से भारतीय जनता पार्टी सत्ता मे है और अब आप इन परिस्थितियों के लिए किसी और पार्टी को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते!


फिर आपको किस बात पर गर्व है?

1200 करोड के बजट वाली मनपा मे सबसे ज्यादा पैसा सडकों पर खर्च हुआ है इसके बावजूद शहर सडकें बहुत खराब हालत मे हैं और बुरी तरह से टूटी हुई हैं! कांक्रीट रोड के कामों मे भी हजारों करोड का भ्रष्टाचार हुआ है जिसके कारण कांक्रीट सडकें बिलकुल घटिया क्वालिटी की बन रही है!
शहर में सबसे ज्यादा बने बनाए नालों और गटारों को तोडकर फिर से बनाया जा रहा है, हर साल करोडों रुपए नाले सफाई के नाम पर भी खर्च किए जाते हैं और ठेकेदारों की मिलीभगत से इस नाले सफाई के नाम पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है फिर भी पूरा शहर बारिश के पानी से डूब जाता है और जनता के करोडों का नुकसान हो जाता है!
आप लोग मीरा भाईंदर शहर को 200 एमएलडी पानी देने का दावा करते हैं लेकिन आज भी 48 घंटे में पानी आता है! सबसे ज्यादा चोरी के नल कनेक्शन इसी शहर में दिए जा रहे हैं, पानी आपूर्ति विभाग में सैकड़ों करोड़ का घोटाला किया जा रहा है लेकिन आप इस भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाते हैं!
शहर का पं भिमसेन जोशी (टेम्बा) एकमात्र 200 बेड का हाॅस्पीटल है जो पिछ्ले दस सालों से बनकर तैयार है लेकिन इस अस्पताल में ना तो ऑपरेशन थिएटर है, ना ही आईसीयू है और ना इस अस्पताल में किसी गंभीर बीमारी का इलाज किया जा सकता है! मीरा भाईंदर मनपा का 1200 करोड का बजट होने के बावजूद मनपा के पास इस अस्पताल को चलाने के लिए पैसे नहीं है ऐसा आपकी सत्ताधारी पार्टी महाराष्ट्र सरकार को लिखित रूप में देकर अपनी लाचारी दर्शाते हैं!
परिवहन सेवा मे भी ठेकेदारों की मिलीभगत से करोडों का भ्रष्टाचार किया जा रहा है, शहर मे 100 बसों मे से सिर्फ 32 बसें चल रही है बाकी सभी बसें भंगार मे सड रही है और ठेकेदार बैठे बिठाए मलाई खा रहे हैं इसके बावजूद शहर मनपा परिवहन सेवा ठीक से नही चल पा रही हैं!
शहर मे एक भी नई सरकारी स्कूल बनी नहीं है और पुरानी स्कूलों में भी पढाने के लिए पर्याप्त टीचर नही है! शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो चुकी है !
आपके सत्ता मे रहते मीरा भाईंदर शहर मे पर्यावरण का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, सैकड़ों एकड CRZ मे आनेवाली जमीन पर मिट्टी की भरनी कर मैंग्रोव्स काटे गए हैं, एक जिम्मेदार जन प्रतिनिधि होने के बावजूद आपने खुद भी नियमों को ताक पर रखकर पर्यावरण का बहुत नुकसान किया है जिसके लिए आपके उपर भी कई मामले दर्ज किए जा चुके हैं!
मीरा भाईंदर शहर मे सैकडों अवैध डांसबार और लाॅजींग बोर्डिंग चलाएं जा रहे हैं जिनकी संख्या दिन ब दिन बढती जा रही इससे हमारे शहर की बहुत बदनामी होती है! लेकिन आपने इस शहर के विधायक होने के नाते इन अवैध डांसबार और लाॅजींग बोर्डिंग पर कारवाई करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए!
नरेन्द्र मेहता जी! अपने खून पसीने की गाढी कमाई टैक्स के रूप में भरने वाली मीरा भाईंदर शहर की जनता के सामने ऐसी एक नही सैकडों समस्याएं हैं, आप ने मनपा मे हो रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए आजतक कोई कदम क्यों नही उठाए? उल्टे आपकी हाथों में सत्ता आने के बाद भ्रष्टाचार और ज्यादा बढा है लेकिन किसी भी भ्रष्ट अधिकारी पर आजतक कोई कार्रवाई नहीं हुई हैं!
ऐसे मे शहर की जनता को गुमराह करने के लिए होर्डींग, बैनर के माध्यम से सिर्फ बातें बातें और सिर्फ बातें हो रही है। 
फिर हम कैसे कहें कि "हाँ मुझे गर्व है?"
हमे गर्व नही शर्म आती है कि हम ऐसे शहर के नागरिक हैं जहाँ "अंधेर नगरी चौपट राजा" की स्थिति है!
~मोईन सय्यद, संपादक लोकहित न्यूज़


01 August 2019

धान्य हो! गीता जी आपकी महिमा अपरम्पार है!

सबसे पहले हम गीता जैन जी को दिल कि गहराईयों से धन्यवाद देना चाहेंगे की उन्होंने तीन तलाक़ बिल पास होने पर मुस्लिम महिलाओं के प्रति संवेदनाएं प्रकट करते हुए उन्हें बधाइयां दी वरना मुस्लिम महिलाओं की इस ऐतिहासिक जीत का जश्न अधूरा अधूरा सा लगने लगता। हाँ ये बात और की गीता जैन जी को इस्लामिक शरीयत और मुस्लिम समाज के तीन तलाक़ की प्रथा के बारे में कितनी जानकारी होगी? यह तो संशोधन का विषय हो सकता है लेकिन यह संशोधन हम बाद में करेंगे; पहले आज हम बात करेंगे गीता जैन जी के एक महिला होने के नाते उनकी महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता के बारे में! कल जो उन्होंने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक़ बिल पास होने पर बधाइयां तो दी लेकिन उन्नाव में एक बेटी पर हुए अत्याचार पर आजतक एक शब्द भी नहीं कहा। तो अब सवाल उठता है एक जागरूक महिला होने के नाते महिलाओं के प्रति अपनी सहानुभूति और संवेदनशीलता राजनैतिक नफ़ा-नुकसान की मोहताज़ हो कैसे सकती है?
गीता जैन जी जरा आपको अवगत करा दें की, उत्तर प्रदेश में भाजपा के उन्नाव के बांगरमऊ से विधायक कुलदीप सेंगर ने एक मासूम नाबालिग बेटी साथ चार जून, 2017 को अपने आवास पर दुष्कर्म किया, जहां वह अपने एक रिश्तेदार के साथ नौकरी मांगने के लिए गई थी। उसने खुद तो बलात्कार किया ही साथ ही औरों से भी करवाया और उसके बाद में जिस तरह से उसके परिवार को बर्बाद किया गया और इस मामले में यूपी सरकार की भूमिका पर भी सवाल खड़े हुए और आगे जो कुछ भी हुआ वो पूरा देश जानता है उम्मीद है की आप भी जानती ही होंगी। तो मुद्दे की बात यह है की इतनी दर्दनाक घटना हुई पुरे देशभर में हंगामा हुआ, विरोध जताया गया लेकिन हमें अच्छी तरह याद है की पिछले डेढ़ साल के इस घटनाक्रम में एक संवेदनशील महिला होने के नाते आपने इस घटना पर ना तो कभी अपना विरोध दर्शाया और ना ही कभी उस पीड़ित बेटी और उसके परिवार के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त की। आखिर क्यों? गीता जी? क्या सिर्फ इसलिए की इस मामले का आरोपी आपकी पार्टी का विधायक है? क्या सिर्फ इसलिए की अगर आप विरोध दर्शाती तो इससे भाजपा के आलाकमान आपके प्रति नाराज हो जाते? या फिर इसलिए की इससे 145 विधानसभा क्षेत्र के लिए आपके विधायकी के टिकट पाने के प्रयासों को चोट पहुंचती? 
तो सवाल यह उठता है की क्या एक जागरूक महिला की महिलाओं के प्रति संवेदनाएं भी राजनैतिक नफा-नुकसान की मोहताज हो सकती है? चलिए इस बात के लिए सिर्फ आपको दोष ना देकर हम पुरे देशभर की भाजपा नेत्रियों की बात करें तो जिस पार्टी का "बेटी बचाओ! बेटी पढ़ाओ!" का नारा है उस पार्टी के किसी भी महिला नेत्रियों ने इस घटना पर ना तो रोष व्यक्त किया और ना ही इस घटना पर आरोपी विधायक के प्रति अपना विरोध प्रदर्शित किया। और अब जब देश की दोनों सर्वोच्च सदनों में तीन तलाक़ बिल पास हुआ है तो अपनी प्रतिमा चमकाने के लिए सोशल मिडिया पर झूठ्ठे ही मुस्लिम महिलाओं हिमायती बनाकर उन्हें बधाइयां दी जा रही है? आखिर कोई इंसान इतना असंवेदनशील कैसे हो सकता है गीता जी? राजनीति अपनी जगह है लेकिन एक इंसान होने के नाते और एक जागरूक भारतीय होने के नाते देशभर में होनेवाले किसी भी अमानवीय कृत्य पर अपना विरोध जताना हर एक भारतीय का कर्तव्य है तभी हम ये दिखा पाएंगे की हर भारतीय हमारे परिवार का हिस्सा है लेकिन अगर किसी भी आपराधिक घटना को या किसी मजलूम पर हुए अत्याचार की घटनाओं को भी अगर हम राजनैतिक नफ़े-नुकसान के ताराजू में तौलकर देखने लगेंगे तो हमारा व्यक्तिमत्व बहुत ही हलका नज़र आएगा।  
गीता जैन जी आप मीरा-भाइंदर शहर की राजनीति में एक उम्मीद की किरण नज़र आती हैं। जनता को आपसे बहुत सी उम्मीदें है साथ ही जनता यह भी चाहती है की आप एक निष्पक्ष और निडर राजनीतिज्ञ बनकर उभरेंगी और ना सिर्फ़ मीरा -भाइंदर की बल्कि देश की हर घटना पर आप अपनी पैनी नजर रखते हुए उसपर अपनी बेबाक़ राय रखेंगी। आशा करते हैं की आप अपनी संवेदनशीलता को गन्दी राजनीति की छाया से दूर ही रखेंगी। 
आपको आपके राजनैतिक भविष्य के लिए फिर एकबार हार्दिक शुभकामनाएं !!!
कृपया अन्यथा ना लें ! धन्यवाद !


29 March 2019

गीता जैन जी काठ की हांडी कब चढ़ेगी?

मीरा-भाइंदर शहर में आज के राजनैतिक परिपेक्ष में गीता जैन जी का कितना राजनैतिक महत्त्व बचा हुआ है यह अपने आप में भी एक सवाल ही बनकर उभर रहा है क्योंकि जब से गीता जैन जी ने यह जाहिर किया है की वो 145- मीरा-भाइंदर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगी और भाजपा के की चुनाव चिन्ह पर हि लड़ेंगी तो कई राजनैतिक विश्लेषकों ने इसे मात्र एक शगूफ़ा ही समझा है। क्योंकि विद्यमान विधायक नरेंद्र मेहता जी के राजनैतिक कद और जनाधार के आगे वो कहीं भी ठहरती दिखाई नहीं देतीं हैं इसलिए किसी भी परिस्थिति में यह संभव लगता नहीं है। दूसरी बात यह है की अगर गीता जैन जी की प्रखर व्यक्तिगत राजनैतिक महत्वाकांक्षा हो और वो भाजपा से बग़ावत करके निर्दलीय चुनाव लड़ने की सोचें! तो भी मीरा-भाइंदर शहर में उनका इतना जनाधार भी दिखाई नहीं देता की जिसके बलबूते पर वो ऐसा दावा कर सकती है। फ़िर गीता जैन जी अपने आप को किस आधार पर 145- विधानसभा की दावेदार मानती हैं? यह तो वो ही जाने! लेकिन आज के राजनैतिक परिपेक्ष को देखते हुए तो ऐसा दिखाई देता है की गीता जैन जी का पार्टी विरोधी गतिविधियों का कोई असर ना ही नरेंद्र मेहता पर हुआ है, ना पार्टी आला कमान ने उन्हें गंभीरता से लिया और ना ही शहर की जनता पर भी उनके इस राजनैतिक पहल का कोई ख़ास प्रभाव हुआ है। अब गीता जैन जी को यह सलाह पता नहीं किस सलाहकार ने दी है की सोशल मिडिया पर हर त्यौहार की पोस्ट डालते रहने से या कुछ किराए के बाउंसर रख लेने से या फिर शहर में हो रहे हर कार्यक्रमों में अपनी उपस्थिति भर दर्ज करा लेने से एक विधानसभा क्षेत्र का चुनाव जीता जा सकता है। अरे भाई ऐसे तो विधानसभा तो छोड़िये? एक प्रभाग के नगरसेवक पद का चुनाव भी जितना संभव नहीं है। और वैसे भी विधायक नरेंद्र मेहता जी ने तो उन्हें खुला चैलेन्ज दिया ही है की अगली बार गीता जैन जी अपने दम पर निर्दलीय नगरसेविका तो बनाकर दिखाएं? 
ऐसे में गीता जैन जी का भाजपा के टिकट पर ही 145- मीरा-भाइंदर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने का दावा करना उनकी राजनैतिक अपरिपक्वता को ही दर्शाता है। इसीलिए उनकी की महत्वाकांक्षा अब सिर्फ़ एक काठ की हांडी नज़र आती है जो कब चढ़ेगी वो तो गीता जैन जी ही जाने!
~ मोईन सय्यद
(संपादक, लोकहित न्यूज़ )